Hey Guys! This is www.thoughtsguruji.com. Today’s we are talking about the Swami Vivekananda Motivational Short Moral Story In Hindi and That’s Title is “ घमंड कभी न करने का ज्ञान ”. It’s a very Interesting Moral Story for you. Here is the collection of Best Motivational Short Moral Story In Hindi. Below we are sharing The Best Moral Stories For Kids every day which is written in Hindi. We hope you will like this Hindi Story Collection.
दोस्तों ! यह कहानी हैं जब स्वामी विवेकानंद जी अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे। तब उनकी चर्चा विश्व के हर देश में हो रही थी। सब लोग उन्हें जानने लगे थे। स्वामी विवेकानंद जी भारत वापस आकर अपने स्वभाव अनुरूप भ्रमण कर रहे थे। इस समय वे हिमालय और इसके आसपास के क्षेत्रों में थे।
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So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“ घमंड कभी न करने का ज्ञान ”
एक दिन स्वामी विवेकानंद जी घूमते-घूमते एक नदी के किनारे आ गये। वहां उन्होंने देखा कि एक नाव है पर वह किनारा से दूर है। तब स्वामी विवेकानंद जी नाव के समीप आने के इंतजार में वहीं किनारे पर बैठ गए।
वही से एक साधु गुजर रहे थे । साधु ने स्वामी विवेकानंद जी को वहां अकेला बैठा देखा तो वह स्वामी विवेकानंद जी के पास गया और उनसे पूछा, तुम यहां क्यों बैठे हुए हो?
स्वामी विवेकानंद जी ने जवाब दिया, मैं यहां उस नाव का इंतजार कर रहा हूँ । साधु ने फिर पूछा, तुम्हारा नाम क्या है? स्वामी विवेकानंद जी ने कहा, मैं विवेकानंद हूँ।
साधु ने स्वामी विवेकानंद जी का मजाक उड़ाने लगा और उनसे कहा, अच्छा! तो तुम वो विख्यात विवेकानंद हो जिसको लगता है कि विदेश में जाकर भाषण दे देने से तुम बहुत बड़े महात्मा साधु बन सकते हो।
स्वामी विवेकानंद जी ने साधु को कोई जवाब नहीं दिया।
फिर साधु ने बहुत ही घमंड के साथ,अपनी शक्ति का प्रयोग करके नदी के पानी के ऊपर चलने लगा तथा कुछ दूर तक चलने के बाद साधु ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा, क्या तुम मेरी तरह पानी पर पैदल चल कर इस नदी को पार कर सकते हो?
Short Moral Story In Hindi
स्वामी विवेकानंद जी ने बहुत ही आदर और विनम्रता के साथ साधु से कहा, इस बात में कोई शक नहीं हैं कि आपके पास बहुत ही अद्भुत शक्ति है। लेकिन क्या आप मुझे यह बता सकते हो, कि आपको यह असाधारण शक्ति प्राप्त करने में कितना समय लगा।
बहुत ही घमंड के साथ साधु ने उत्तर दिया,
यह बहुत ही कठिन कार्य था। मैंने बीस सालों की कठिन तपस्या और साधना के बाद यह महान शक्ति प्राप्त की है।अहंकार भरा अंदाज से साधु ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा!
यह सुनकर स्वामी विवेकानंद जी बहुत ही शांत स्वर में बोले, आपने अपनी जिन्दगी के बीस साल ऐसी विद्या को सीखने में बर्बाद कर दिए, जो काम एक नाव पांच मिनिट में कर सकती है।
आप ये बीस साल निर्धन बेसहारा गरीबों की सेवा में लगा सकते थे। या फिर अपने ज्ञान और शक्ति का प्रयोग देश और देशवासियों की प्रगति में लगा सकते थे। परंतु आपने अपने बीस साल सिर्फ पांच मिनट बचाने के लिए व्यर्थ कर दिए। ये कोई बुद्धिमानी नहीं है।
साधु सिर झुकाए खड़े रह गये और स्वामी विवेकानंद जी नाव के समीप आने पर नाव में बैठ कर नदी के दूसरी किनारे चले गए।
Moral:-
- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं की हमें ज्ञान और शक्ति का सही प्रयोग करना चाहिए। तथा किसी भी प्रकार की शक्ति को प्राप्त करके यदि हम उस पर घमंड करते है तो यह मूर्खता है।
- शक्ति का सही जगह पर सही इस्तेमाल करना ही वास्तविकता में बुद्धिमानी है।
धन्यवाद!
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