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नमस्कार मित्रों!

जीवन एक यात्रा हैं। अपने लक्ष्य तक पहुंचने से कही ज्यादा मायने रखता हैं, आपके यात्रा करने का तरीका क्योकि यही आपके सफलता और असफलता के बीच का रास्ता होता हैं जिसको हर हाल में तय करना पड़ता हैं। यहाँ आप अनेकों बार गिरते है, संभलते हैं और फिर एक दोगुनी ताकत से आगे बढ़ते जाते हैं।

एक बात याद रखियेगा सफलता या असफलता जो भी हाथ लगता हैं उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होते हैं। ये सिर्फ आप जानते हैं कि आपने लक्ष्य को पाने के लिए खुद को कहाँ तक तोड़ा हैं, कितना संघर्ष किया हैं, कौन सी स्थति से आगे बढ़े हैं।

यदि आप सफल होते हैं तो जरुर आपने खुद का 100% दिया होगा और असफल होते हैं तो आप अपना मेहनत जानते हैं, आपने कहाँ तक ही कोशिश की, थोड़ा सा और मेहनत करते तो कही और होते।

जीवन में लम्बी छलांगे लगाकर थक जाने से कही ज्यादा बेहतर हैं निरंतर बढ़ते कदम। दुनियां में अगर आपको कुछ अलग करना हैं तो ओरो की तरह जीना छोड़ दो। वरना जैसे लोग आज दुनियां में देख रहे हो वही बनकर रह जाओगे।

एक बात अपने जहन में बैठा लीजिए लोग सिर्फ एक ही काम करते हैं सफल होने पर बधाई देना और असफल होने पर आलोचना करना। उनको कभी भी यह ज्ञात नही होता की आपने अपना रास्ता कौन से हालातों से तय किया हैं इसलिए हमेशा याद रखियेगा “सुनों सबकी लेकिन करो मन की”।

सबसे अहम् बात अपने माता-पिता के बातों को जरुर अमल में लावो क्योकि उन्होंने जो दिया हैं वह कोई और नही दे सकता और उनके जैसा हितैषी कोई और नही। हर कोई सब कुछ नही जानता लेकिन कुछ ना कुछ जरुर जानता हैं। कोशिश करो की जो गलती लोगो ने कि उससे आप बच सकों। गलतियों को अपने जीवन में परिक्षण करने की जरुरत नही हैं। इससे सिर्फ समय बर्बाद होगा।

गलतियों से सिर्फ सीख लिया जाता हैं चाहे वो आपने किया हो या लोगो ने, अगर लोगो द्वारा की गयी गलती खुद के ऊपर परिक्षण कर दोहराओगे तो खुद का जीवन कम पड़ जायेगा।

कभी अधिक तकलीफ या दर्द हो तो एक पंक्ति गुनगुना लेना

नर हो,न निराश करो मन को
कुछ काम करो,कुछ काम करो।
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो।
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को।
नर हो,न निराश करो मन को।