हेल्लो दोस्तों! आज हम आपके साथ Share करने वाले हिंदी कहानी, जिसका शीर्षक हैं “दर्पण का चमत्कार“| दोस्तों! यह छोटी मगर दिलचस्प हिंदी कहानी हैं| जो आज समाज में लोगो की हीन भावनाओ को उछलती हैं और बताती हैं कि किसी भी व्यक्ति में उसकी शारीरिक सुन्दरता नही अपितु उसकी मानसिक सुन्दरता से की गयी कार्य की छवि ही अनंत तक बनी रहती हैं| दोस्तों! हमें आशा हैं की नीचे जो नैतिक हिंदी कहानियां लिखी हुई हैं वह आपको पसंद आएगी|उसमे अपने दोस्तों से साथ भी साझा करे|
![हिंदी कहानी-दर्पण का चमत्कार](https://www.thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/04/हिंदी-कहानी-दर्पण-का-चमत्कार-1024x536.jpg)
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दोस्तों इसमें प्रेषित सभी नैतिक हिंदी कहानियां पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
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INTERESTING MORAL STORY
“दर्पण का चमत्कार”
महान दार्शनिक “सुकरात जी” की आदत थी कि वह प्रतिदिन प्रातः उठते ही दर्पण में स्वयं का प्रतिबिंब देखते थे। इसके पश्चात ही अन्य कार्य करते थे। ये बात उनके शिष्यों को अजीब लगती थी। क्योंकि सुकरात जी उतने सुंदर नहीं थे कि प्रतिदिन अपनी छवि निहारे। उनका चेहरा बड़ी-बड़ी दाढ़ी मूंछों से ढका रहता था। और वे सामान्य से भी कम सुंदर थे।
![नैतिक हिंदी कहानियां - दर्पण का चमत्कार- सुकरात का फोटो](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/04/दर्पण-का-चमत्कार-Image-of-Sukrat-1.png)
एक बार उन्हे कहीं जाना था। किन्तु किसी कारण वश उन्हें विलंब हो गया।उनके शिष्य प्रतीक्षा कर रहे थे। वे तैयार हुए और चलने से पहले दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखने लगे। इस पर उनके शिष्य ने कहा :- ” गुरुवर! आप प्रतिदिन अपनी छवि निहारते है। कितना भी आवश्यक कार्य हो, आप दर्पण देखने के उपरांत ही कार्य करते है। ऐसा क्यों? “
![हिंदी कहानी- "दर्पण का चमत्कार"
नैतिक हिंदी कहानियां](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/04/magic-of-Mirror-802x1024.jpg)
बच्चो के लिए नैतिक हिंदी कहानियां
शिष्य को समझाते हुए सुकरात जी बोले- “वह इसलिए ताकि मुझे अपनी वास्तविकता ज्ञात रहे।”
अपनी बातों को स्पष्ट करते हुए बोले- ” यह तो सभी को ज्ञात है कि मै कैसा दिखता हूं। किंतु मुझे इस दर्पण से ज्ञात होता है कि मै कैसा हूं और मुझे क्या करना चाहिए।”
“संसार में सभी व्यक्ति को दिन में एक बार दर्पण अवश्य देखना चाहिए।”
![A Mirror with Png Format-दर्पण का चमत्कार एक हिंदी कहानी](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/04/Mirror-647x1024.png)
“यदि वह सुंदर है तो इस मनोभाव के साथ कि मेरे शरीर की तरह मेरा कर्म भी सुंदर रहे।”
“और यदि वह कुरूप है तो इस भाव के साथ कि मै अपने अच्छे कर्म से अपनी शारीरिक कुरूपता को छुपा लूंगा। जिससे मै उन लोगों के निकट जा सकू जो लोग मुझे अच्छे लगते हैं।”
“रूप तो ईश्वर की देन है, इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते। किन्तु कर्म और स्वभाव में हमारा पूर्ण नियंत्रण है।अन्यथा आप सभी मेरे पास नहीं होते। क्योंकि स्वरूप में आप सभी मुझे से अधिक सुंदर है।”
यह संवाद सुनकर वहा उपस्थित सभी लोगों को यह दर्पण का चमत्कार समझ में आ गया।
Moral:-
- केवल शारीरिक सुंदरता ही नहीं अपितु मानसिक सुंदरता पर भी ध्यान देना चाहिए।
- व्यक्ति को हमेशा कर्म प्रधान होना चाहिए|क्योकि जिसने भी यहां झंडे गाड़े हैं सब कड़ी मेहनत का परिणाम हैं|
- यहां प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं की असलियत पता होती हैं|मैं सही हूँ या गलत सब जानते हैं|
धन्यवाद!
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