Short Moral Stories in Hindi- “संत की सीख”

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मित्रो! जीवन में हम बहुत सारी परेशानियों का सामना कर आगे बड़ते ही रहते हैं और आगे बढ़ना ही जीवन ही वास्तविकता हैं| नीचे हमने आज की नैतिक कहानी आपसे साझा की हैं, आपको यह कहानी पसंद आएगी| कृपया पूरा पढ़ने के बाद अपना मत Comment में जरुर दे|

A Rich man and a Saint Taking About  Moral Value. Short Moral Stories in Hindi-"संत की सीख"

मित्रों! यह एक ऐसा Website है, जहां हम रोज Short Moral Stories Hindi में बच्चों के लिए Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|

दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!

So Friends! Today’s our

INTERESTING MORAL STORY

” संत की सीख 

 एक अमीर आदमी ने एक संत की बहुत सेवा की| सेवा से संत का हृदय भर गया और जब वह वहां से चलने लगे तो आदमी ने प्रार्थना की कि: ” भगवन कुछ ऐसी चीज दीजिए जिसके सहारे मैं भगवान तक पहुंच सकूं, उन्हें प्राप्त कर सकूं| यही मेरी अभिलाषा है|”

A Saint Sits on Mudras.Short Moral Stories in Hindi

संत ने उन्हें तीन चीजें दी- 

  • मोमबत्ती
  • सुई 
  • कमल पुष्प

और कहा:- ” इन्हें में गांठ में बांध लो ”

Must Read: Moral Stories in Hindi

अमीर ने उन तीन को देखा और अचंभे से पूछा कि:  ” इनके सहारे मैं भगवान को कैसे प्राप्त कर सकूंगा|”

संत ने कहा: 

” मोमबत्ती की तरह खुद जलो और दूसरों के लिए रोशनी पैदा करो |”

A Candle png Image. Image of a Story "संत की सीख"

” सुई की तरह अपने आप को उघड़ा रखो परंतु दूसरे के छेद को बंद करते रहो|”

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और ” हमेशा कमलवत रहो, जैसे कमल कीचड़ में रहते हुए भी उसमें लिप्त नहीं होता, उसी प्रकार संसार में रहते हुए अपने आत्म स्वरूप को कमलवत शुद्ध रखते हुए प्रभु में लीन रहो|” 

इस प्रकार तुम्हारा चित्त निर्मल होता रहेगा| निर्मलता, दूसरे का हित-चिंतन, दूसरे में बुराई ना देखना, एवं अलिप्तता होंगे तो याद रखो कि तुम स्वत: भगवान को पा लोगे|

Moral:

  • “मोमबत्ती की तरह खुद जलो और दूसरों के लिए रोशनी पैदा करो |”
  • “सुई की तरह अपने आप को उघड़ा रखो परंतु दूसरे के छेद को बंद करते रहो|”
  • “हमेशा कमलवत रहो, जैसे कमल कीचड़ में रहते हुए भी उसमें लिप्त नहीं होता, उसी प्रकार संसार में रहते हुए अपने आत्म स्वरूप को कमलवत शुद्ध रखते हुए प्रभु में लीन रहो|” 

धन्यवाद!

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