Inspirational Moral Stories- “ फूटा घड़ा ”

Hello Friends! Today’s Inspirational Moral Stories is “ फूटा घड़ा ”. Here is the collection of Best Moral Stories In Hindi. Below we are sharing very Interesting Moral Stories are written in Hindi. We hope you will like this Hindi Story Collection.

Inspirational Moral Stories

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INTERESTING MORAL STORY

“ फूटा घड़ा ”

एक गाँव में एक मजदूर किसान रहता था वह रोज सुबह पिने के लिए कुआं से पानी लाया करता था वह किसान पानी लाने के लिए दो बड़े घड़े रखे थे जिसे कवर की सहायता से लाता था।


उसके एक घड़ा कहीं से छेद हो गये थे जिसके कारण किसान के घर पहुँचने तक घड़ा से आधा पानी नीचे गिर जाया करते थे। वही दूसरा घड़ा एकदम मस्ता था उसमे कही भी पानी निकलने का जगह नहीं था तो उस घड़े का पूरा का पूरा पानी घर पहुंचाते थे।

दूसरा घड़ा जो एकदम मस्त था उसे घमंड था कि वह रोज पूरा पानी घर लाया करता था और उसके अन्दर कोई भी कमी नहीं हैं , वहीं पहले घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है जिसके कारण किसान की मेहनत बेकार चली जाती है।


यह सोच कर छेद वाला घड़ा परेशान रहता था , एक दिन वह घड़ा किसान से क्षमा मांगनी चाही वह किसान से कहा कि मुझे क्षमा करो मै अपने आप से बहुत शर्मिंदा हूँ , यह बात सुनकर किसान ने पूछा क्यों ? आप किस बात से अपने आप से शर्मिंदा हो ?

फिर घड़ा ने उत्तर दिया आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए उसका अधा ही घर ला पाता हूँ मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है , जिसके कारण आपकी मेहनत बर्वाद हो जाती हैं यह बाते फूटे घड़े ने दुखी मन से किसान से कहा।


घड़े की बाते सुनकर किसान बोला कि कोई बात नहीं ,आज जब हम घर वापस आयेंगे तो रास्ते में पड़ने वाले सभी फूलों को देखना .
घड़े ने किसान की बाते मानकर वैसे ही किया , वह रास्ते में पढ़ने वाले सभी सुन्दर सुन्दर फूलों को देखा तो उसके मन को थोड़ा अच्छा लगा लेकिन घर पहुँचने तक उसका पानी फिर से आधा हो गया था जिसे देखकर घड़ा फिर से मायूस हो गया और किसान को क्षमा मांगने लगा।

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तब किसान ने उस घड़े को समझाया कि शायद तुमने ध्यान नहीं दिया कि कुए से घर आने तक कि रास्ते पर जितने भी फुल थे ओ केवल तुम्हारे तरफ ही थे, सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था मैं तुम्हारे अन्दर के इस कमी को जानता था इस कारण मैंने उसका लाभ उठाया और तुम्हारे तरफ के रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे , ताकि तुम रोज़ थोडा-थोडा करके उन्हें सींचते रहो।

आज तुम्हारी वजह से ही ये पूरा रास्ता फूलों से सुन्दर बन गया हैं तथा इन्ही फूलों को मैं बाजार में ले जाकर बेचता हूँ जिससे मुझे कुछ पैसे मिल जाते हैं।


अब तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ? क्या रास्ते पर इतना अच्छा फुल खिल पाते।

Moral:

  • हमें कभी भी अपने आप पर घमंड नहीं करना चाहिए।
  • हम सब में कोई ना कोई कमी जरुर रहते है।
  • किसान की तरह ही हम सब को भी हर किसी को वो जैसे हैं वैसे सी स्वीकार करना चाहिए।

धन्यवाद!

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