Hey Guys! This is www.thoughtsguruji.com. Today’s we are talking about the Best Short Stories For Kids and That’s Title is “बुरेपन से उबरना”. It’s a very Interesting Moral Story for you. Here the collection of Best Short Stories For Kids. Below we are sharing The Best Moral Stories For Kids every day which is written in Hindi. We hope you will like this Hindi Story Collection.
![A son and Fathers Talking about bad manners on Moral story and Stories name is "बुरेपन से उबरना"](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/03/MORAL-STORIES-5-1024x536.jpg)
मित्रों! यह एक ऐसा Website है जहां हम रोज एक ऐसे ही Interesting Moral Stories Hindi में Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
” बुरेपन से उबरना “
किसी पिता को अपने मित्रों से ज्ञात हुआ कि उसका पुत्र कुसंगति में पड़कर दुर्व्यसन पर आदी हो गया है|तथा बिगड़ गया है|पिता को सहसा अपने मित्रों की बात पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने स्वयं अपनी आंखों से देखकर वस्तुस्थिति का को जानना चाहा|
उसके मित्रों ने ऐसा ही किया और उस पिता ने स्वयं अपनी आंखों से देखा कि वास्तव में उसका पुत्र एक पेड़ के नीचे अपने मित्रों के साथ व्यसन के सेवन में लगा हुआ है, तब तक उस पुत्र ने भी अपने पिता को देख लिया और उसे हड़बड़ाकर में जब कुछ और नहीं मिला तो उसने पेड़ के एक पत्ता को उठाकर अपने व पिता के मध्य में आड़ सी कर ली|
![youngster are smoking on the Short Stories for kids-"बुरेपन से उबरना"](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/03/Short-Stories-For-Kids-बुरेपन-से-उबरना-1024x683.jpg)
Short Stories For Kids in Hindi
उसके पिता तत्क्षण वहां से अपने दोस्तों से यह कहते हुए मुड़ गए कि यह सत्य है कि मेरा पुत्र व्यसन करने लगा है किंतु यह कहना गलत है कि वह बिगड़ गया है क्योंकि अब भी उसकी आंखों में शर्म बाकी है|
लड़का घर पंहुचा वह बहुत ही डरा और घबराया हुआ था|कुछ देर बाद उसके पिता ने उसको आवाज दी उसका संतुलन और भी ज्यादा बिगड़ गया|लड़का अपने पिता के पास गया|
पिता ने अपने शालीनता का परिचय दिया उसे उदाहरण के माध्यम से उसके भविष्य की कल्पना करायी कि यदि आगे तुम्हारी हालत ऐसे ही रही तो जरा अपने व्यसन में लगे हुए एक दोस्त के पिता की स्थिति को देखो|चाहे कितनी भी पूंजी क्यों ना बनायीं हो उसके भले दादा जी ने लेकिन आज उसके पिता जी के दुर्व्यसनों में पड़े रहने से सब ख़तम हो गया हैं|
![](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/03/Short-Stories-For-Kids-बुरेपन-से-उबरना-4.jpg)
Stories for kids | Interesting Moral Story
उसकी माँ और बहन भी उनके साथ नही रहती|उसके दादा जी के मृत्यु उपरांत वह अपने माता जी को भी वृध्दाश्रम छोड़ आया|और अब तुम्हारा दोस्त ही बस उसके साथ हैं|और वो भी दुर्व्यसन में लगा हुआ हैं|तुम्हारे दोस्त के पिता जी बीमारी के शिकार होकर घर में ही मर रहा हैं|
अगर तुम्हे भी अपने जिंदगी ऐसी ही बर्बाद करनी हैं तो सोच लो|अन्यथा अपने डॉक्टर बनने की लक्ष्य की ओर आगे बढ़ो|एक बात हमेशा याद रखना- ” बेटा! मित्र सिर्फ साथी नही होना चाहिए सारथी भी होना चाहिए|” जो गलत राहो से अवगत कराये|न की गलत रहो में लेके जाये|
![Short Stories for kids on Story-बुरेपन से उबरना](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/03/Moral-Stories-2-1.jpg)
लड़का यह सब सुन शर्म से पानी-पानी हो गया|पिता से माफ़ी मांगने लगा|पिता जी बोले-” बेटा! अभी भी तुम में शर्म बाकि हैं इसे कभी मत खोना यह भी मनुष्य का एक अहम गुण हैं|”
एक और अहम बात जिंदगी में मैंने भी बहुत कुछ देखा हैं और उस तजुर्बे से बता रहा हु ” जीवन में कभी चमत्कार नही होते अगर कुछ करना हैं तो सिर्फ एक ही लक्ष्य बनाओ|बार-बार बदल कर भटकने से समय ही व्यतित होगा|”
बच्चो के लिए प्रेरित कहानियां
![A Success symbol a man on the success Stair](https://thoughtsguruji.com/wp-content/uploads/2020/03/Steps-to-Success-1024x682.jpg)
अगर कुछ पाना हैं तो अपने आप को उसमे झोक दो| रात जागो दिन जाओ लेकिन अपने मार्गे से कभी मत हटो|
“अगर जीवन का लक्ष्य हैं तभी वह सार्थक हैं वरना कितने लोग जीते हैं और कितने मरते हैं उनके जीवन का कोई मूल्य नही “
Moral:-
- शिक्षक भी आज माता पिता कि ही भूमिका निभाते हैं|एक बात कहना चाहूँगा आज विद्यार्थी अपने घर परिवार से ज्यादा स्कूल में आपके साथ विद्या अर्जित करता हैं|उनमें कुछ नैतिक गुण भी डालिए|
- शिक्षक भी विद्यार्थी के लिए उसी पिता की तरह होता हैं तब तक अपने शिष्यों को सुधारने के प्रयासों में व्यस्त रहते हैं, जब तक उनके नेत्रों में लज्जा का एक अंश भी शेष रह गया होता है|
- जिसने गुरु और माता-पिता के समक्ष लज्जा का संकोच का भी त्याग कर दिया उसके प्रति कोई आशा करना ही व्यर्थ है|यही समर्पण संपूर्ण शिष्यत्व का सार भूत तत्व है|
- हर माता-पिता को इस बात पर बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से घ्यान देना चाहिए की उसका बेटा-बेटी कही गलत रहो में तो नही ? और हैं तो उसे समझदारी पूर्वक उसके दुर्व्यसन से बाहर निकालना चाहिए|याद रखिएगा जब तक उसके अन्दर शर्म और लज्जा हैं तब तक ही वह सुधर सकता हैं अन्यथा कभी नही|ख़त्म होने से पहले ही सुधार लेना चाहिए|
- किसी भी गंभीर स्थिति को सिर्फ आँखों देखी ही यकीन करे|अन्यथा बिन भरोसे बहुत रिश्ते टूटते हैं|दुसरो की सुनने से बेहतर वस्तुस्थिति का स्वयं पता लगाना चाहिए|कम से कम बाद में किसी बात का पछतावा नही होगा कि उसके बातो में आकर क्यों ऐसा किया|
धन्यवाद!
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Nice story